इबादत करना | Ibadat Karna
इबादत करना
( Ibadat karna )
भूल संसार गया रब की इबादत करना
याद अब है इसे नफरत की तिजारत करना
देख मासूम हसींं दिल की सदाये बोली
जिंदगी सीख रही है यूँ मुहब्बत करना
धूप कहती ही रही आज नहीं निकलो तुम
बेसबब रोग को क्योंकर है यूँ दावत करना
जिंदगी और ठिकाने भी बचाकर रखती
मेरे महबूब ख़ुदा मुझ पे इनायत करना
जब मुहब्बत ही मुहब्बत की रखो आशा तुम
लाजमी है की मुहब्बत की ही सोहबत करना
याद ममता को रखे ये तो जमाने वाले
राब्ता इश्क से हो जाये ये चाहत करना
ममता जबलपुरी