राहत की आहट | Rahat ki Aahat
राहत की आहट
( Rahat ki Aahat )
तेरी यादों के साए में जब भी, मैं खो जाता हूँ,
अंधेरों में भी कहीं तेरा चेहरा देख पाता हूँ।
जुदाई के ग़म में ये दिल रोता है तन्हा,
पर राहत की आहट से मैं फिर से जी जाता हूँ।
तेरे आने की उम्मीद अब भी बरकरार है,
हर दर्द में छुपी वो मीठी सी बहार है।
तेरे बिना ये ज़िन्दगी अधूरी सी लगती है,
पर तुझे पाने की चाहत में हर सुबह निखरती है।
कभी लौट आना, मेरे इस इंतज़ार में,
तेरे आने की आहट, बसती है मेरे इस प्यार में।
हर आँसू तेरे मिलन से खुशी में बदल जाएगा,
क्योंकि इस दिल को अब भी तुझ पर ऐतबार है।
कवि : प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
सुरत, गुजरात
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