![राजेंद्र रुंगटा राजेंद्र रुंगटा](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2024/06/राजेंद्र-रुंगटा-696x496.jpg)
योग से लाभ और हानि
दिया पतंजलि ने,
योग ज्ञान-विज्ञान l
क्यों भूला बैठा उसे
विषय भोगी इंसान ?
ऋषि-मुनियों का
मानो तुम एहसान l
एक सूत्र में बांधकर
जग को परोसा ज्ञान l
आओ भोर-सकाले
करें योग-प्राणायाम l
निर्मल,शीतल वायु का
करें हम अमृत पान l
हजार रोगों की
है एक दवाई l
नियमित योग
तुम करो भाई l
योग से सबकी भलाई
पैसा बचाये पाई-पाई l
महिमा इसकी अति भारी
मनन करें सब नर-नारी l
डॉक्टर को ये दूर भगाए
तन-मन कांतिमय हो जाए l
योग मुझे है अति भाया
निरोगी-सुखी रहे काया l
करें योग रहें निरोग
आएं रोज भगाए रोग l
योग करने जाओगे
निरोगी काया पाओगे
अपने परिवार को
खुशहाल बनाओगे l
इश्क खुद से
छोड़ा जमाने का
झूठा माया ,मोह ,प्रपंच l
हर कदम अपनों ने
मारे कपटी पंच l
अपनों ने भोंके
खंजर छाती में l
अपनों ने बांधी
जंजीरें कदमों में l
टूटा हौसला
इन गहरे घावों से l
निकली आहे
इस टूटे दिल से l
रोते दिल ने
छोड़ी जग से प्रीत l
इन कड़वे सबको ने
सिखा दी नई रीत l
अब बांधी डोरी
इश्क खुद से करने की l
अपने लिए ही जिऊंगा
इश्क खुद से ही करूंगा l
अपने लिए ही जिऊंगा
अपने लिए ही मारुंगा
खुद का इश्क खुद से
ही करूंगा l
अपने में मस्त रहूंगा
अपने आप में खुश रहूंगा
खुद का इश्क खुद से ही करूंगा l
राजेंद्र कुमार रुंगटा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)