तिरलोकी को नाथ सांवरो | Rajasthani Bhasha Kavita
तिरलोकी को नाथ सांवरो
( Tirloki ko Nath Sanvaro)
( राजस्थानी भाषा )
तिरलोकी को नाथ सांवरो
दौड़यो दौड़यो आवैगो
संकट हर सी जण का सारा
विपदा दूर भगावैगो
नरसी मीरा सो भगत कठै
करमा खीचड़ो ले आवै
विष को प्यालो राणा भेज्यो
अमरीत रस बण भा ज्यावै
नानी बाई रो भात भरण ने
मुरलीधर खुद ही आयो हो
लाज बचाई द्रोपदी की
करमा रो खीचड़ो खायो हो
सांचा मन सूं याद करो
सांचा रों साथ सांवरो दे
ध्यान धरो बंशी हाळा को
सगळा संकट आ हर ले
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )