जय श्री राम ( दोहे )
जय श्री राम ( दोहे )
जनमे जिस क्षण महल में, कौशल्या ने लाल।
गूंजी घर -घर में तभी, ढोल मँजीरा ताल ।।
पिता वचन की राम ने , रखी सहज ही लाज |
ठुकराया संकोच बिन , अवधपुरी का राज ।।
पीछे पीछे चल दिये ,जहाँ चले प्रभुराम।।
सीता लक्ष्मण साथ में, छोड़ अवध का धाम ।
वन में मारी ताडका, किया दुष्ट का नाश।
‘हर्षित सब ही हो गए, क्या धरती आकाश।।
जग में बहती ही रहे, राम भक्ति की धार ।
जो जन पूजे राम को, उसका बेड़ा पार ।।
राम नाम जपते रहो, निश्चित है उद्धार ।
खुल जायेंगें सहज ही , सारे मुश्किल द्वार ।।
प्रेम भाव से जो करे, राम नाम का जाप ।
मिट जाते हैं एक दिन ,उसके सब संताप।।
श्री रघुवर की शरण में,जो आए इक बार।
हो जाता भय मुक्त वो, पा आशीष अपार।।

डॉ कामिनी व्यास रावल
(उदयपुर) राजस्थान