रेशम धागा पहन कर
रेशम धागा पहन कर
पांच बहनो का भईया सजता धजता आज,
रेशमी धागा पहन कर ,करता कितना नाज।
बचपन की खुशबू भरी,बिखराए सरस धार,
पावन सावन पूर्णिमा,नित रक्षा हो हर काज।।1।
रिश्तों का बंधन पावन,छलकाता उर प्यार,
कच्चे धागे में दिखता, खुशियॉ अपरम्पार।
चावल रोली थाली रख, बहना है तैयार,
भईया गेह खुशहाल हो,लगे उमर हजार।।2।
कच्चे रेशम से बंधा, भरोसे का धागा,
खट्टी मीठी तकरार पर, बांधे नेह धागा।
भाई मांगे जीवनभर बहना की कुशलता,
रक्षासूत्र भाई को, बहना ने है बांधा।।3।
उपहार, मिठाई से सजता, सारा बाजार,
ब्याही बहना कर रही, भाई का इंतजार।
आकांक्षा नहीं अपेक्षा, रहे प्रिय व्यवहार,
बना रहे ऐसे प्रेम भावना का संसार।।4।
चौक बनाकर बहना ने भाई को बिठाया ,
रेशम का धागा बांध, माथे तिलक लगाया ।
ढ़ेरो मिठाइयाँ खाकर भईया मुस्काया,
भाई-बहन का आज, पावन त्यौहार आया।।5।
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई
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