Reza reza
Reza reza

रेज़ा रेज़ा

( Reza reza )

 

इकट्ठा करती हूँ

बीनती हूँ

इक इक

टुकड़ा

बारीक से बारीक

किरचन

उठाती हूँ

देखती हूँ

अपनी

लाल हुई

ज़ख्मी

उंगलियां

कभी उस

टूटे हुये

आईने को

.

.

.

.

आईने को?

या

रेज़ां रेज़ां

खुद को?

?

Suneet Sood Grover

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

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