निबंध : सामाजिक आर्थिक विकास में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका
सामाजिक आर्थिक विकास में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका
( Role of NGOs in Socio-Economic Development : Essay in Hindi )
प्रस्तवना :-
सरकार और गैर सरकारी संगठनों (NGO ) के बीच एक अच्छे साझेदारी सरकार को कई समस्याओं का समाधान खोजने और सामाजिक क्षेत्र में पहल को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद करती है।
भारत सरकार देशभर में सार्वजनिक आर्थिक विकास के लिए स्वैच्छिक क्षेत्र की सहयोगी भूमिका को मान्यता प्रदान करता है। सुरक्षित कार्य प्रकोष्ठ मुख्य रूप से देश में स्वच्छ कार्य करने को बढ़ावा देते हैं।
गैर सरकारी संगठन और समाज
विश्व बैंक ने एनजीओ अर्थात गैर सरकारी संगठनों को परिभाषित करते हुए कहा “ऐसे निजी संगठन जो कुछ इस तरीके की गतिविधियों से जुड़े हैं, जिससे किसी की परेशानी दूर हो सके, गरीबों के हित को बढ़ावा मिले, पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके, मूलभूत सामाजिक सेवाएं मुहैया कराई जा सके, सामुदायिक विकास का जिम्मा उठाया जा सके वे गैर सरकारी संगठन है”।
यह संगठन गैर-लाभकारी हो सकते हैं तथा सरकार से स्वतंत्र हो सकते हैं। मूलतः नैतिक मूल्यों पर आधारित ऐसी संस्थाएं पूर्ण या आंशिक दान सेवाओं पर आश्रित रहती हैं। भारत में पिछले दो दशकों में एनजीओ क्षेत्र काफी तेजी से बढ़ रहा है।
भिन्न-भिन्न क्षेत्र ऐसे संस्थाओं को अलग अलग नाम से जानते और समझते हैं। कोई उन्हें सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशंस तो कोई उन्हें निजी स्वैच्छिक संगठन, चैरिटी, नॉनप्रॉफिट, चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशन जैसे नामों से बुलाते हैं।
हमारे देश में गैर सरकारी संगठन की भूमिका
हमारे देश में कई स्वयंसेवी संगठन सभी क्षेत्रों में विकास कार्य एवं सामाजिक सेवा में भागीदारी निभा रहे हैं। पिछली आठवें दशक में सामाजिक सरोकार के मसले एक निर्णायक मोड़ की तरफ देखते ही देखते गैर सरकारी संगठनों की बाढ़ आ गई। यह संस्थाएं उन खाली स्थान को भरने के लिए आती हैं जिनको सरकार नहीं करना चाहते या फिर नहीं कर पाती।
विश्व बैंक के वर्किंग विद एनजीओ दस्तावेज में पिछले 8 दशक के दौरान एनजीओ सेक्टर के विकासशील और विकसित देशों में समान रूप से अप्रत्याशित वृद्धि हासिल की है। एक अनुमान के अनुसार कुल विदेशी विकास संबंधी सहायता राशि का लगभग 15% से ज्यादा एनजीओ की मदद पहुंचाने के लिए दिया जा रहा है।
इन स्वैच्छिक संगठनों का मूल उद्देश्य सामाजिक न्याय विकास और मानवाधिकारों की रक्षा करना है। इनका वित्त पोषण पूर्ण रूप से या फिर आंशिक रूप से सरकार द्वारा किया जाता है। इसके लिए राष्ट्रीय अथवा अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वैधानिक इकाई नहीं होती।
विश्व बैंक स्वास्थ्य संगठनों को दो प्रकार से चिन्हित करता है। पहला ऑपरेशनल दूसरा एडवोकेट अर्थात क्रियात्मक अर्थात क्रियात्मक संगठन और पैरोकार स्वैच्छिक संगठन। क्रियात्मक शैक्षिक संगठन का मूल उद्देश्य विकास और मुख्य परियोजनाओं की रूपरेखा तैयार करना है।
क्रियात्मक स्वैच्छिक संगठनों को राष्ट्रीय संगठन अंतरराष्ट्रीय संगठन समुदाय आधारित संगठन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। वही दूसरी तरफ पैरोकार स्वैच्छिक संगठन का मूल उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की नीतियों एवं कार्य पद्धति यों को प्रभावित करना होता है।
समाज के विकास में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने में यह संस्थाएं प्रभावी भूमिका निभा सकती हैं।
- स्वयंसेवी संस्थाओं को ग्रामीण विकास के लिए एक उत्प्रेरक अभिक्रिया के रूप में जाना जाता है।
- यह संस्थाएं गरीबी उन्मूलन में विविध भूमिका अदा कर सकते हैं। जैसे लाभ न मिल पाने वाले समूह को सामाजिक न्याय दिलाना तथा लोगों को उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना।
- ग्रामीण क्षेत्र में सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं में प्रगति को बढ़ावा देना।
- सरकारी लोगों की अपेक्षा संगठन में लोगों से अधिक नजदीकी संबंध स्थापित करना।
- ग्रामीण विकास की प्रक्रिया में भागीदारी के लिए लोगों को संगठित करना।
- ग्रामीण गरीबी को दूर करने के लिए संगठित प्रयास करना।
- गलत धन प्रवाह को रोकने और भ्रष्टाचार निवारण में मदद करना।
- स्थानी वित्तीय संसाधनों को इकट्ठा करके लोगों को आत्मनिर्भर बनाना।
अक्सर देखा जाता है कि योजनाओं में कुछ लाभार्थी उपयोगिता बैंक द्वारा प्राप्त ऋण का दुरुपयोग करते हैं। यह शैक्षिक संगठन ऐसे लाभार्थियों को ऋण का प्रभावी और उत्तम उपयोग करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। ग्रामीण समुदायों में विकास में यह संगठन सक्रिय रूप से भाग लेकर लोगों को प्रोत्साहित और जागरूक कर सकते हैं।
देशभर में कई स्वैच्छिक संगठन है जो अनेक प्रकार की गतिविधियां चलाते हैं। जिससे लोगों को लाभ होता है क्योंकि यह संगठन मूल रूप से बिना किसी व्यवसायिक हित या तत्कालिक लाभ के काम करते हैं। इन संगठनों का प्रमुख उद्देश्य निर्धनता अथवा किसी प्राकृतिक आपदा के कारण कष्ट में जी रहे लोगों की सेवा करना होता है।
निष्कर्ष
लोगों के जीवन स्तर में सुधार की आवश्यकता को देखते हुए भारतीय शैक्षिक संगठन विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। लोगों की जीवनशैली में सुधार देखा जा रहा है।
स्थानीय स्वैच्छिक संगठन क्षेत्र के विकास में बेहतर मदद कर सकते हैं क्योंकि वह स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप अपनी कार्यप्रणाली में लचीलापन ला सकते हैं। लोगों के साथ सीधा संपर्क होने के कारण वे स्थानीय गरीबों विशेषकर के ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर ढंग से मदद कर सकते हैं।
सामाजिक गतिविधियों में स्वैच्छिक संगठनों के सक्रिय हस्तक्षेप से नेतृत्व का गुण विकसित होता है। स्वैच्छिक संगठन शिक्षा और इस प्रकार की अन्य दूसरी गतिविधियां चलाते हैं। देशभर में शैक्षिक संगठन वास्तव में एक आशा की किरण के रूप में उभरे हैं।
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