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दिल के पास तुम रहते हो | Romance geet

दिल के पास तुम रहते हो

( Dil ke paas tum rahte ho )

 

 

खिले चमन से महकते सदा बहारों से तुम रहते हो
दिल जिगर दिलदार हो दिल के पास तुम रहते हो
दिल के पास तुम रहते हो

 

नैनों से नेह धारा बरसती मोती बरसे प्यार भरे
मनमीत हो प्रियतम प्यारे बोल सुहाने प्रीत भरे
दिल के झरोखों में बन आशाओं के दीप रहते हो
सुकून आ जाए दिल को दिल के पास तुम रहते हो
दिल के पास तुम रहते हो

 

हसीं वादियो से भी सुंदर सुरम्य हो मनभावन हो
प्रीत भरी फुहार प्यारी प्यार के बरसते सावन हो
छांव कोई हरियाली सी हम तुम्हारे तुम कहते हो
चैन मिल जाता दिल को दिल के पास तुम रहते हो
दिल के पास तुम रहते हो

 

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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