कैसी बीत गए तुम्हारे साथ
कैसी बीत गए तुम्हारे साथ

कैसी बीत गए तुम्हारे साथ

( Kaisi beet gaye tumhare saath )

 

कैसी बीत गए तुम्हारे साथ ।

कितने पल कितने साल।

सच कहूं वह बीते दिन थे बेमिसाल।

आज भी चुपके से,तुमको कभी,

जी भर के देख लेती हूं नजर चुरा कर।

नोकझोंक करती हूं ,

बस रखती हूं प्यार छुपा कर।

आज भी वक्त बिताने के लिए चाय पर करती हूं इंतजार।

 सच कहूं यह तो एक बहाना है बस तुमसे कर लेती हूं बातें चार।

कैसे बीत गए तुम्हारे साथ कितने पल कितने साल।

सच कहूं तो वह बीते दिन थे  बेमिसाल।

आज भी दफ्तर जाते हुए तुम्हारे, चक्कर लगाती हूं हजार,

 कभी कपड़े देने के बहाने तो,

कभी डाइनिंग टेबल पर लुटा देती हूं चुपके से प्यार।

सच कहूं दरवाजे पर खड़े होकर आज भी करती हूं इंतजार ,

शाम की चाय पर आज भी करती हूं,

कुछ मीठी कुछ खट्टी बातें तो कभी कर लेती हूं तकरार।

कैसी बीत गई तुम्हारे साथ कितने पल कितने साल,

सच कहूं वह बीते दिन थे बड़े बेमिसाल।

ऋतुएं बदली मौसम बदले ,

कभी बदले दिल के मिजाज

सच कहूं मेरे हृदय मैं प्रीत के रंग और गहरे हुए आज।

कभी नोकझोंक तभी नखरे दिखाती हूं।

 सच कहूं बस तुमको अपनी बातों में उलझाती हूं।

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लेखिका :-गीता पति ( प्रिया) उत्तराखंड

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