मेरी ज़िन्दगी में थी ऐसी हसीना | Romantic Nazm in Hindi
मेरी ज़िन्दगी में थी ऐसी हसीना
( Meri zindagi mein thi aisi haseena )
वो आँखों पे ज़ल्फ़ों के पहरे बिठाये
कभी ख़ुद हँसे औ’र मुझे भी हँसाये
मेरे गीत अपने लबों पर सजाये
कभी दिन ढले भी मेरे घर में आये
लगे जेठ सावन का जैसे महीना ।।
मेरी ज़िन्दगी में ——
कभी मुझको चूमे वो नज़दीक आकर
कभी रूठ जाये ज़रा मुस्कुराकर.
मेरी मौत का जैसे सामाँ जुटाकर
मुझे देखती थी वो नज़रें चुराकर
ये उसका करम बस रहा इक महीना।।
मेरी ज़िन्दगी में—
हज़ारों सितम आज़माये थे उसने
बड़े नाज़ नखरे दिखाये थे उसने
बहुत नाच मुझको नचाये थे उसने
कहूँ कैसे क्या ज़ुल्म ढाये थे उसने
समझ पाया उसको था मैं ही कभी ना ।।
मेरी ज़िन्दगी में—–