रोज़ चलके देखा उल्फ़त दोस्ती की राह पे
रोज़ चलके देखा उल्फ़त दोस्ती की राह पे
रोज़ चलके देखा उल्फ़त दोस्ती की राह पे
चोट खाली है वफ़ाओ आशिक़ी की राह पे
उसका चेहरा दर्द ग़म दिल से भुलाने के लिये
आ गया हूँ मैं भटकते मयकशी की राह पे
ढूढ़ते ही ढूढ़ते राहें मुहब्बत इश्क़ की
चलते चलते आ गया हूँ बेरुख़ी की राह पे
चैन तेरे ही मिलेगी देख टूटे दिल को ही
चल ख़ुदा की दोस्त दिल से बंदगी की राह पे
ग़म भुलाकर जिंदगी के तू सभी अपनें मगर
जिंदगी भर चल ज़रा तू हर ख़ुशी की राह पे
दोस्ती की राह पे चलना मुहब्बत की सदा
तू कभी चलना नहीं है इन दुश्मनी की राह पे
छुट गयी है राहें देती थे मुहब्बत जो वफ़ा
आ गया आज़म अब उन बेकली की राह पे