मेरी पहचान बता
मेरी पहचान बता

मेरी पहचान बता

 

मैं लड़की हूं

इसे छोड़ मेरी पहचान बता

घर मेरा मायका है या ससुराल मेरा मका

बस एक बार तू मेरा पता बता

 

मैं लड़की हूं

इसे छोड़ मेरी पहचान बता

मैं अमृत हूं विष समझकर न सता

मौन कर दिया तूने मुझे बेटे के समान बता

 

मैं लड़की हूं

इसे छोड़ मेरी पहचान बता

तू इतने जुल्म करता है

तू इतने जुल्म करता है क्या है आखिर मेरी खता

हर कदम पर ठुकरा कर तु मुझे ना यूं प्यार जता

 

मैं लड़की हूं

इसे छोड़ मेरी पहचान बता

क्यों डरता है तू देवी के समान मुझे बता

मैं तो हूं एक पेड़ की छोटी सी कली और लता

इसे छोड़ मेरी पहचान बता

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लेखिका : अमृता मिश्रा

प्रा०वि०-बहेरा, वि०खं०- महोली

सीतापुर (उत्तर प्रदेश)

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