साथ तुम आ जाओ
साथ तुम आ जाओ

साथ तुम आ जाओ

 

( Saath tum aa jao )

साथ आज तुम आ जाओ तो, संबल मुझको मिल जाए।
जीवन  नैया डगमग डोले, उजड़ी बगिया खिल जाए।।

 

कंटक पथ है राह कठिन है, कैसे मंजिल पाऊंगा।
हाय अकेला चला जा रहा, साथी किसे बनाऊंगा।
फिर भी बढ़ता जाऊंगा, शायद किनारा मिल जाए।
जीवन नैया डगमग डोले, उजड़ी बगिया खिल जाए।।

 

लक्ष्य पूरा होगा मेरा, आशा ही मेरी शक्ति है।
कर्म पथ पर बढ़ता रहूंगा, सत्य मेरी भक्ति है।
बस समझो एक विरक्ति है,वो रिक्त स्थान भी भर जाए।
जीवन नैया डगमग डोले, उजड़ी बगिया खिल जाए।।

 

नैना आस लगाए हैं कभी, प्रेम के बादल बरसेंगे।
हरी भरी हो धरा हमारी ,वन उपवन भी सरसेंगे।
जीव जंतु सब हरषेंगे, जब हमें सहारा मिल जाए।
जीवन नैया डगमग डोले, उजड़ी बगिया खिल जाए।।

 

दुख के बादल छंट जाएंगे, भोर सुहानी आएगी।
हमसफर होगा कोई जब, मंजिल भी मिल जाएगी।
जांगिड़ कली खिल जाएगी, दिल से दिल ही मिल जाए।
जीवन नैया डगमग डोले, उजड़ी बगिया खिल जाए।

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कवि : सुरेश कुमार जांगिड़

नवलगढ़, जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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