सुनो..
सुनो..

सुनो..

( Suno )

 

सुनो…

तुम एक बार

दो कदम

घर से निकल कर

देखो तो जरा

चार क़दम चलते ही

मैं उसी चौराहे

पर खड़ा

इंतजार कर रहा होऊंगा

तुम्हारे आने का….

 

उस चौराहे से

चुन लेना कोई भी

एक रास्ता

और चल पड़ना

उस रास्ते पर

जो मुझ तक ले आएगा….

 

बस शर्त ये है कि

मुड़ कर मत देखना

बस तुम चलते चले आना

वहाँ मिलूंगा मैं तुमसे

जन्मांतर के लिए….!

?

कवि : सन्दीप चौबारा

( फतेहाबाद)

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