सबको जाना है | Sabko Jana Hai
सबको जाना है
( Sabko Jana Hai )
देर लगी हां लेकिन सबको जाना है ,
रफ़्ता रफ़्ता चेहरों को पहचाना है।
हर छोटी सी बात बुरी लगती उसको,
गुस्सा इतना ठीक नहीं समझाना है।
देख के कल वो मुसकाया था महफ़िल में ,
बस इसका ही बन बैठा अफ़साना है।
जब भी मिलता बात वफ़ा की करता है ,
लोग समझते वो कोई दीवाना है।
किसके हिस्से में केवल खुशियां यारों ,
कौन यहां है जो ग़म से अनजाना है।
दिल की आख़िर कब तक बात सुनी जाये
हर बेजा ख़्वाहिश पर रोक लगाना है।
रिंद हुए बदनाम बिना मतलब यारो
मैखाने में सबका आना जाना है।
मिलना उससे जो मिलने के काबिल हो
क्यों ऐरे गैरे को सर बैठाना है।
पूछ रहा वो वज़्ह हमारी दूरी की
उसकी सारी कोताही गिनवाना है
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
रफ़्ता रफ़्ता -धीरे धीरे
कोताही -कमी बेपरवाही
अफ़साना-कहानी
बेजा -अनुचित
यह भी पढ़ें :-