सच के साथ चल देना | Sach ke Sath Chal Dena
सच के साथ चल देना
सच के साथ चल देना, जमाना साथ होगा।
भला करते चलिए, खुशियों में हाथ होगा।
सच्चाई की डगर पे, तो मुश्किलें हजार होगी।
मिल जाएगी मंजिलें, सब बाधाएं पार होगी।
सत्य का यह मार्ग, चलना संभल संभल के।
संघर्षों की कहानी, रचना फिर राही चल के।
जीत होगी सत्य की, जग में झूठ ही हारा है।
बुराई का अंत निश्चित, सत्य का उजियारा है।
सबके साथ चल देखो, जीवन संवर जाएगा।
प्रेम गंगा बहा देखो, सुख का सागर आएगा।
महापुरुष हो गए वो, जो सच की राह चलते।
चूर चूर हुआ घमंड, जो झूठ के सहारे बढ़ते।
कीर्तिमान रचते वही, सत्य का मार्ग अपनाते।
रोशनी वही नर पाते, जो दीप प्रेम का जलाते।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )