ग़मो का मिला वो ख़िताब है | Sad shayari
ग़मो का मिला वो ख़िताब है
( Gamo ka mila wo khitab hai )
हाँ यार ग़मो का मिला वो ख़िताब है
अब जीस्त में मिली ख़ुशी मुझको ज़नाब है
देखते वो करेगा मगर कब क़बूल वो
दें आया प्यार का ही उसे मैं गुलाब है
कैसे भूलूँ मगर याद उसकी सभी दिल से
पीने का ही नहीं मिली मुझको शराब है
दीदार हो भला यार कैसे हंसी है जो
उतरा नहीं उसी के चेहरे से हिजाब है
की दिल करे बना लूँ उसे जीस्त भर अपना
उसपे चढ़ा बहुत हुस्न का ही शबाब है
थी इम्तिहाँ मुहब्बत की इतनी यहां मगर
लिखकर उसे भेजी प्यार की हो क़िताब है
भेजा था फ़ूल प्यार भरा यार कल उसे
उसनें दिया नहीं यार कोई ज़वाब है
नफ़रत की चल रही ख़ूब आज़म हवा यहां
मौसम यहां बहुत ही उल्फ़त का ख़राब है