Sadak suraksha par kavita
Sadak suraksha par kavita

सड़क सुरक्षा

( Sadak suraksha )

 

1.
वाहन चलाते थूकना, है खतरे का काम।
हो सकता है हादसा, जा सकती है जान।

2.
बेल्ट बांध गाड़ी चला, तेज चाल मत चाल।
दुर्घटना भी घट जावे, बचे अंग अरु भाल।

3.
दक्षता से वाहन चले, सीख सार संभाल।
यात्रा जब हो दूर की, ईंधन हवा डाल।

4.
चलती गाड़ी ना करे, फोन कान से दाब।
अगर देह ये मिट गई, मिटते सारे ख्वाब।

5.
सड़क तो सह जायेगी, पीक थूक का दाग।
छोड़ विरासत दुख भरी,फोड़े आश्रित भाग।

6.
थकान निद्रा आये तो, लौंग इलाची चाब।
गंदा गुटखा सुपारी, कूड़े अंदर दाब।

7.
नशा कर वाहन चलाया, दिया निमंत्रण मौत।
गति की आँधी उड़ी, बुझें जीवन की ज्योत।

8.
गति क्षति का कारण बनें, ना करना यह भूल।
जीवन भर डँसतीं रहे, चिंता चिता व धूल।

9.
बीच सड़क वाहन खड़ा, मिलीं अनर्थ को पाति।
साँस बचायी राम जी,देखा धर्म ना जाति।।

10.
नजर सड़क पर राखिए, जंतु आये अबोध।
दशा दिशा का ज्ञान ना, भूख प्यास का बोध।

11.
हॉर्न बजाना हर कहीं, मूर्खता का काम।
पीं पीं पों दिल चीरते, झगड़ों का है नाम।

12.
जंगल बीच गुजर रहे, रखना हॉरन दूर।
जीव जंतु हिंसक बनें, हमला करते घूर।

13.
दाएँ वाम मुड़ना पड़े, जला सूचक बीप।
सकुशल आवागमन हो, जले खुशी के दीप।

14.
रात समय वाहन मिले,डीपर नीचे डाल।
गुजरे सब आराम से, दूर रहेगा काल।

15.
ना करना बात कोई, ना भेजों संदेश।
गली चौक चौकस रहो, रखो ध्यान हरमेश।

16.
दोपहिया पर जब चलो, हेलमेट रख भाल।
मौत पास फटकें नहीं, गुजरेगा हर काल।

17.
नशा अगर कर लिया तो, गाड़ी रखना दूर।
हस्ती ही मिट जायेगी, सपने होंगे चूर।

18.
लाल बत्ती देख रूको, चलो हरी को देख।
मंजिल भी सबको मिलें, सुरक्षित जीवन रेख।

19.
गलत दिशा मुड़ना पड़े, धीरे धीरे चाल।
खुद मौत के फंदा फँसे, दूजा फँसे अकाल।

20.
सड़क छोड़ पैदल चलें, रहना बायें हाथ।
धीर धरें जीवन बचे, मिटे सभी का घात।

21.
जल्दी कभी भी अच्छी ना, मन में करो विचार।
गति घटे जीवन बचे, सुखी रहे संसार।

22.
जाना हो जब भी कहीं, जाना ना सब साथ।
घर पर ताला पड़ गया, क्रूर मौत के हाथ।

 

रचनाकार : शांतिलाल सोनी
ग्राम कोटड़ी सिमारला
तहसील श्रीमाधोपुर
जिला सीकर ( राजस्थान )

 

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