Kavita aaina dikhao
Kavita aaina dikhao

आईना दिखाओ!

( Aaina dikhao )

 

पेड़ो में छाँव रहे, वो पेड़ लगाओ,
रहे फूलों में खुशबू वो फूल लगाओ।
ख्वाहिशें मरने न पाएँ दुनियावालों की,
अंधेरे रास्तों पे तुम चराग जलाओ।

पैसे के गुरूर में जब आँखें थक जाएँ,
बनके बच्चा कागज की नाव बनाओ।
संसार को कोई समझ पाया है क्या,
किसी सीता पे कोई न इल्जाम लगाओ।

इस हसीं दुनिया से हमेशा ताल्लुक रखो,
आसमां में जाकर न कोई घर बनाओ।
जिसकी है दुनिया उसी पे सब छोड़ दो,
जमीं की कोख में न काँटे धंसाओ।

कौन किसके लिए रोता है इस जहां में,
रिश्वत के सागर में न गोता लगाओ।
चींटी के पांव की आवाज वो है सुनता,
चेहरे के ऊपर ना चेहरा लगाओ।

मयकशी के सहारे जीना ठीक नहीं,
हो सके तो ऊपरवाले से लौ लगाओ।
रह जाएँगे तेरे सारे खजाने यहीं पे,
हे! दुनियावालों मुझे आईना दिखाओ।

 

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )
यह भी पढ़ें:-

नये साल में | Kavita naye saal mein

 

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here