Savitribai Phule par kavita
Savitribai Phule par kavita

पहली महिला शिक्षिका

( Pahli mahila shikshika )

 

भारत-भूमि पर किया जिसने ऐसा काम,
माता सावित्री बाई फुले आपको प्रणाम।
नारी सशक्तिकरण की तुम बनी मिशाल,
गुरूओं में पूजा जाएंगा आपका ये नाम।।

देश की पहली महिला शिक्षिका है आप,
लड़कियां भी पढ़ें ऐसे आपके थें ख़्वाब।
रुढ़िवादी सोच के कारण यातनाएं ‌झेली,
आपकी जयंती पर देश देता श्रद्धांजलि।।

3 जनवरी 1831 में नायगाॅंव की धरती,
एक किसान के घर में जन्मी यह शेरनी।
शुरु से विपत्तियो का सामना करती रही,
उम्र भर संघर्ष करके क्रान्तिज्योति बनी।।

स्त्रियों के अधिकार के लिए लड़ने वाली,
बाल-विवाह भ्रुण-हत्या से बचाने वाली।
अछूतों का सम्मान एवं शिक्षा देने वाली,
पढ़ें व स्वाभिमानी से जिऍं कहने वाली।।

किसी का कभी दिल ना दुखाया इन्होंने,
कड़वाहट अपमान ना याद रखा मन में।
रुढ़ी परम्पराऍं तोड़कर आंदोलन किया,
मज़बूत इरादे कर चलती ही गई राह में।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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