सफल जीवन उसने ही पाया!
सफल जीवन उसने ही पाया!
आया है सो एक दिन जाएगा,
पर,जाने से पहले पछताएगा।
कुछ काम तो कर ले बन्दे !
वर्ना बच्चों के बीच शर्माएगा।
बचपन, जवानी और बुढ़ापा,
जीवन का हर रंग गहरा पा।
अच्छा बोयेगा,अच्छा काटेगा,
हरा-भरा-सा आजीवन रहेगा।
बचपन में जिसे संस्कार मिला,
पढ़ने का अच्छा आधार मिला।
जवानी उसकी पहचान बनाती
ताकत भी राष्ट्र के काम आती।
कुसंस्कारों से वह बचा रहता,
सद्चरित्र उसके काम आता।
बुढ़ापा भी कष्ट नहीं देता है,
जैसा अन्न, वैसा मन रहता है।
परीक्षा में जिसने नकल किया,
जीवन भर वो बेगारी ही किया।
एकाग्र हो जिसने पढ़ाई किया,
सफल जीवन उसने ही पाया!
डॉ.आलोक रंजन कुमार
जपला, पलामू, झारखंड।
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