सफर जिंदगी का गुजरता रहा | Safar Zindagi ka
सफर जिंदगी का गुजरता रहा
( Safar zindagi ka guzarta raha )
हौसला अंतर्मन में जोश भरता रहा।
बहारों से मौसम भिगा संवरता रहा।
हमने मोती लुटाए जहां में प्यार भरे।
सफर जिंदगी का यूं ही गुजरता रहा।
मुश्किलों में पथिक कदम धरता रहा।
दीन दुखियों की पीर नित हरता रहा।
भरी झोली दुआओं से हमने प्यार से।
सफर जिंदगी का यूं ही गुजरता रहा।
दीप आशाओं का मन में जलता रहा।
भाव रस प्रेम भरा मन में पलता रहा।
औरों की खुशियों में खुशियां मनाई।
सफर जिंदगी का यूं ही गुजरता रहा।
आंधी तूफानों से अक्सर लड़ता रहा।
बाधाओं का सामना नित करता रहा।
मंजिले हाजिर हुई हमारी मेहनत से।
सफर जिंदगी का यूं ही गुजरता रहा।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )