Anupam Kher par kavita
Anupam Kher par kavita

“अनुपम” खेर

( Anupam Kher ) 

–> क्या उपमा दूँ मैं “अनुपम” की …….||
1. हैं अनुपम जी खुशहाल बडे,इन्डस्ट्री मे नाम अमर उनका |
सूट करे किरदार कोई भी,आवाज बुलंद हुनर उनका |
है सिर पर हांथ माँ दुलारी का,आशीष सदा बरसाती है |
खट्टी-मीठी सी नोक-झोंक,सबके मन को हर्षाती है |
–> क्या उपमा दूँ मैं “अनुपम” की ….||

2. हो गए बडे तो क्या हुआ,माँ के सम्मुख तो बच्चे हैं |
कलाकार माना पक्के हैं,माँ जी के आगे तो कच्चे हैं |
रम जाते किरदार मे अपने,लगता बिल्कुल की सच्चे हैं |
रुप तो सुन्दर है ही उनका,दिल हीरा है मन के अच्छे हैं |
–> क्या उपमा दूँ मैं “अनुपम” की ….||

3. काश्मीर फाइल जैसी कई फिल्में,अनुपम जी ने कर डालीं |
फिल्म जगत् के सितारे हैं वो,इतिहास की पुस्तक लिख डाली |
करें बात खरी इंसान खरे,एक जाने-माने अच्छे ऐक्टर हैं |
कहूँ और क्या नहीं जानता,वो खुद एक अच्छे राइटर हैं |
–> क्या उपमा दूँ मैं “अनुपम” की ….||

4. कभी गुद-गुदाते कभी हंसाते,कभी-कभी तो रुला जाते |
कभी करें खल-नायकी,नफरत और गुस्सा दिला जाते |
एक चाह सुदीश की मिलने की,काश कभी मै मिल पाऊँ |
कुछ अपनी कहूँ कुछ उनकी सुनूँ,जब भी मै उनके दर जाऊँ |
–> क्या उपमा दूँ मैं “अनुपम” की ….||

 

लेखक:  सुदीश भारतवासी
Email: [email protected]

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