जिंदगी में रोज़ तेरी ही कमी है
( Zindagi mein roz teri hi kami hai )
लौट आ तू जिंदगी तन्हा कहां तू
रोज़ तन्हाई भरी ही जिंदगी है
हो गयी है इम्तिहां अब राह की
देखकर रस्ता तेरा आँखें थकी है
टूट जाते जो रिश्तें जुड़ते नहीं
दूर कर जो दिल में तेरे बेरुख़ी है
साथ मेरा जा चुका है छोड़कर वो
जिंदगी में रह गयी अब शाइरी है
याद से राहत मिले दिल को किसी की
तू मुहब्बत की सुना दें रागिनी है
इसलिए आज़म करे है बेवजह शक
हाँ भरी मन में उसी के गंदगी है