सही फैसला
राजू और रीना एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, लेकिन परिस्थितियों के कारण वे एक दूसरे से अलग हो गए थे।
राजू की शादी कविता से हो गई थी, लेकिन वह अभी भी रीना को प्यार करता था, उसे भुला नहीं पाया था। उसके दिल में रीना के लिए एक गहरा प्यार और आकर्षण था। वह अक्सर रीना की यादों में खो जाता था और उसके बिना जीने को वह सजा के तौर पर देखता था। वह रीना के बारे में जानने को इच्छुक था लेकिन उससे संपर्क करने के लिए उसके पास न तो रीना का पता था और न ही कांटेक्ट नम्बर।
एक दिन, राजू और रीना फिर से बाज़ार में टकरा गए। रीना को देखकर राजू के दिल में एक अजीब सी खुशी और दर्द का मिश्रण था। वह रीना को देखकर अपने आप को रोक नहीं पाया। वह उसके पास चला गया और रीना को गले लगा लिया। रीना भी राजू को देखकर बहुत खुश हुई। वह अब भी राजू को प्यार करती थी।
राजू ने रीना को बताया कि उसकी कविता से शादी हो गई है और वह एक कम्पनी में अच्छी नौकरी कर रहा है। रीना ने बताया कि वह अभी भी अविवाहित है और वह भी एक कम्पनी में काम करती है। विदा लेने से पहले दोनों ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर लिया।
उस दिन के बाद से दोनों एक दूसरे के साथ फिर से ढ़ेरो बातें करने लगे। इस तरह उनकी पुरानी यादें ताजा होती चली गईं। दोनों के अंदर फिर से साथ मे क्वालिटी टाइम बिताने की इच्छा जागृत हो उठी। एक दिन दोनों ने ऑफिस से छुट्टी लेकर घरवालों से छिपकर साथ मे समय बिताने का प्लान बनाया।
तय तिथि पर राजू रीना को अपनी बाइक पर बैठाकर उसको शॉपिंग करवाने मॉल निकल पड़ा। उस दिन मॉल में घूमते समय राजू को बहुत डर लग रहा था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे दुनिया की सारी नज़रे उनको ही देख रही हैं। वहाँ भीड़ में मौजूद हर व्यक्ति उसे ससुराल पक्ष का ही नजर आ रहा था।
वह इतना ज्यादा घबरा गया कि उसे लगने लगा कि अगर रीना के साथ मॉल में घूमने की बात कविता को पता चल गई तो वह उसकी जान ले लेगी। उसका कुशल दांपत्य जीवन खतरे में पड़ जाएगा। कहीं ऐसा ना हो कि तलाक तक की नौबत आ जाए? उस दिन राजू को एहसास हुआ कि वह अपनी पत्नी कविता के साथ गलत कर रहा है।
भले ही राजू उस पूरे दिन रीना के साथ रहा, उन्होंने शॉपिंग की, साथ में मूवी भी देखी व साथ में लंच भी किया लेकिन पूरे समय उसके अंदर बहुत ज्यादा घबराहट, समाज में बदनामी होने का डर, किसी रिश्तेदार या परिचितों के द्वारा देखे जाने, पकड़े जाने का डर व कविता के साथ गलत करने, धोखा देने का अपराधबोध बना रहा।
शाम को रीना को घर के पास छोड़ते समय उसने हिम्मत करके रीना से साफ-साफ शब्दों में सकुचाते हुए कहा-
“रीना, मुझे माफ़ कर देना लेकिन मुझे लगता है कि इस तरह हमारा मिलना, घूमना सब गलत है। मेरी शादी हो चुकी है और अब चाहकर भी हम एक नहीं हो सकते। मैं कविता को तलाक नहीं दे सकता। बिना मतलब मैं उसकी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकता।
तुम अभी कुंवारी हो। हमारा इस तरह मिलना कहीं ना कहीं मेरे जिंदगी को भी नरक बना देगा और तुम्हारी जिंदगी को भी। समाज में दोनों की बदनामी होगी सो अलग। कल को कोई व्यक्ति मेरे कारण तुमसे शादी करने को भी तैयार नहीं होगा। तुम्हारी जिंदगी नरक बन जायेगी।
हमारा इस तरह करीब आना ठीक नहीं है इसलिए हो सके तो मुझे भूल जाओ, मुझसे दूरी बनाकर रखो। मैं भी अपनी ओर से पूरी कोशिश करूंगा कि हमारे सम्बन्ध मधुर बनें रहें। कभी जिंदगी में कहीं टकरा जाएं तो एक दूसरे से नज़रें तो मिला सकें, दोनों के मन में अपराधबोध की स्थिति न हो। आज तुम्हारे साथ घूमते हुए मुझे बहुत डर लगा। इतना डर पहले तुम्हारे साथ कभी नही लगा।”
रीना को भी एहसास हो गया था कि राजू अब मेरा प्रेमी नहीं रहा। मेरे प्रेमी से परे कहीं ना कहीं अब कविता का पति है। उसकी अपने परिवार और कविता के प्रति बहुत जिम्मेदारी हैं। उसने भी राजू की सलाह का समर्थन करते हुए कहा-
“जो घबराहट तुम्हें हो रही थी, वही घबराहट मुझे भी हो रही थी। मैं भी तुमसे यही बोलना चाहती थी। अच्छा हुआ, यह तुमने खुद बोल दी।”
इसके बाद दोनों ने एक दूसरे से विदा ली और अपने-अपने घर की तरफ बढ़ लिए।
राजू और रीना दोनों के दिल में एक दर्द और अपराधबोध था, लेकिन वे जानते थे कि उन्होंने जो फैसला लिया है, वह उनके लिए सही है।
जिंदगी में कभी-कभी हमें कुछ फैसले लेने पड़ते हैं जो हमारे लिए मुश्किल होते हैं, लेकिन हमें उन फैसलों को लेना चाहिए, जो हमारे लिए सही हों। प्यार का मतलब यह नहीं है कि हम अपने रिश्तों को बर्बाद कर दें, बल्कि इसका मतलब यह है कि हम अपने रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए काम करें।

लेखक:- डॉ० भूपेंद्र सिंह, अमरोहा
यह भी पढ़ें :-