Samvad
Samvad

संवाद

( Samvad ) 

 

संवाद सदैव दो के बीच ही होता है
किंतु ,उपस्थित हर व्यक्ति,उसे
अपनी समझ और प्रसंगानुरूप ही
समझने का प्रयास करता है….

उपस्थिति की जरूरत आपकी नही
उठे प्रश्न और समाधान की है
आपका योगदान ही आपके मूल्य को
परिभाषित करता है….

आपका पद या अहम नही
व्यवहार और निष्पक्ष समझ ही
निखारता है आपके व्यक्तित्व को
आपका व्यक्तिगत सिर्फ आपके लिए है…

सम्मान देना ही सम्मान पाना है
प्रशंसा के दो शब्द बड़े नही होते
उनका मूल्य बड़ा होता है
और को महत्व देकर ही
आपका महत्व बड़ा होता है…

जिंदगी उसूलों से ज्यादा
मानवीय मूल्यों पर चलती है
किसी का झुक जाना
उसकी मजबूरी भी कहलाती है…

 

मोहन तिवारी

 ( मुंबई )

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