संक्रांति | Sankranti kavita
संक्रांति
( Sankranti )
उत्तरायण भी कहे सूर्य मकर राशि में
पर्व मकर संक्रांति दिवस दान पुण्य का
तिल गुड़ बांट बांट बोले मीठा मीठा बोल
पुण्य भरा काज करो शुभ दिवस आज का
पूजा वंदना कर लो तीर्थों का फल मिलता
आशीष मात-पिता का वरदान उन्नति का
पावन गंगा स्नान का शुभ दिवस आया है
दीन हीन सेवा कर प्रसाद पाये हरि का
संक्रांति का पर्व है उमंग उल्लास भरा
दुनिया में हर्ष भरा महापर्व पतंगों का
नभ में पतंगे उड़े बलखाती इठलाती
संदेशा देती हमको सोच ऊंची उड़ान का
तिल के लड्डू दान में सबको बांटो घेवर
सद्भाव प्रेम भरा त्योहार है खुशियों का
सौभाग्य प्रतीक बांटे नारियां श्रद्धा प्रेम से
आस्था विश्वास भरा पर्व यह संक्रांति का
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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