Sanyukt Parivar
Sanyukt Parivar

संयुक्त परिवार हमारा

( Sanyukt parivar hamara ) 

 

बच्चों-जवानों बुजुर्गों से भरा है आंगन सारा,
संस्कारो से जुड़ी हमारी जिसमे विचारधारा।
तुलसी पूजन की हमारी यह पुरानी परम्परा,
ऐसा है खुशियों-भरा संयुक्त परिवार हमारा।।

करते है आदर-सत्कार एवं अतिथि की सेवा,
दूध दही पिलाकर इनको करवाते है कलेवा।
दादा और दादी का घर में रहता सदैव पहरा,
जिनकें आशीर्वाद से मिलता सभी को मेवा।।

चारो और है रौनक गूंजें बच्चे की किलकारी,
सुख दुःख में रहते है संग चाचू चाची हमारी।
सिखते है कई अनुभव और मिलते सुविचार,
परिवार से ख़ुशी‌ मिलती व ताकत ढ़ेर सारी।।

सुख का अनुभव होता हमें एक साथ रहकर,
त्याग प्रेम करुणा ममता है सभी में जमकर।
ऐसे रिश्तों का समूह है हमारा प्यारा परिवार,
समाधान भी ढूंढ लेते परेशानी का मिलकर।।

जिसमें प्रेम का भरा भंडार ऐसा यह परिवार,
एक साथ पूरा-परिवार बैठकर लेता आहार।
ख़ुशी के दीप जलाते एवं सजाते घर के द्वार,
होली व दीपावली चाहे हो कोई भी त्यौहार।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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