सत्कार | Satkar kavita
सत्कार
( Satkar )
आन मान मर्यादा का सत्कार कीजिए
जो बने नींव के प्रस्तर आभार दीजिए
माता-पिता गुरु की सेवा सत्कार कीजिए
आशीषो से झोली भर खूब प्यार दीजिए
कोई अतिथि आए आदर सबको भाये
बढ़कर बड़े प्रेम से सत्कार कीजिए
दीन हीन रोगी कोई वक्त का मारा हो
गले लगाकर सेवा सत्कार कीजिए
रिश्तो की डोर को संभाल के रखना है
संस्कार सभ्यता का सत्कार कीजिए
जिंदगी की जंग हर में हर हाल हर रंग में
खुशियों भरे माहौल का सत्कार कीजिए
बड़े बुजुर्ग वंदनीय अनुभवों का खजाना है
चरण छूकर उनका खूब आशीष लीजिए
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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