Hindi diwas vishesh
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खुद भी हिंदी बोलिये

( Khud bhi hindi boliye )

 

खुद भी हिंदी बोलिये, औरों को दो ज्ञान।
हिंदी में ही है छिपा, अपना हिंदुस्थान।।

 

चमत्कार हर शब्द में, शब्द शब्द आनंद।
विस्तृत है साहित्य भी, दोहा रोला छंद।।

 

सब भाषा का सार है, सबका ही आधार।
माँ हिंदी की वंदना, सुधि करो स्वीकार।।

 

जो कहते हैं वो लिखे, जो लिखते कह देत।
एक नियम है व्याकरण, कबहु न इसमें भेद।।

 

गर्वित जीवन ये हुआ, माँ का पाकर प्यार।
माँ हिंदी का पुत्र मैं, इसकी जय जयकार।।

 

🌸

कवि भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई,  छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )

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