सत्यमेव जयते

सत्यमेव जयते | Satyameva Jayate | kavita

सत्यमेव जयते

( Satyameva Jayate )

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डाॅ० कफिल की रिहाई,
मीडिया में है छाई।
यह बात फिर उभरकर आई,
सत्य परेशान हो सकता है-
पराजित नहीं भाई ।
यह कोई नहीं बात नहीं सैकड़ों ऐसे किस्से है
सदियों सुने , सुनाए जा रहे हैं।
फिर भी वही गलती सब दोहराए जा रहे हैं।
ताज़ा उदाहरण डाॅ कफिल का है-
जो गोरखपुर अस्पताल के डॉक्टर हैं,
बच्चों की जान बचाने को आगे आए थे,
आॅक्सीजन सिलेंडर कांधे पर रख घर से लाए थे।
सरकार किरकिरी से बचने को-
उन्हीं पर तोहमत लगा दिए,
कई कई जांच बिठा दिए।
रिपोर्ट डाॅ.कफिल के ही पक्ष में आए ,
आरोप बेबुनियाद साबित हुए ।
तब सरकार ने उन पर रासुका लगाए,
बेगुनाह होने पर भी महीनों जेल में बिताए।
लेकिन कफिल तू शेर निकला , बब्बर शेर-
तेरी हिम्मत देख हुए सब ढ़ेर ।
परेशानियों को हंसते हंसते सहा,
न्याय के दरवाजे दरवाजे गया ।
जो अब लौटा है निर्दोष,
यह देख सुन कितने हुए बेहोश।
मीडिया ने पहले था हीरो बनाया,
फिर दबाव में जीरो बनाया ।
चला लंबी बहसों का भी दौर,
सरकारी विफलता छिप गयी कहीं और!
अतिवादी के रूप में दिखाया,
राष्ट्र के लिए खतरा बताया।
भूल गए तेरी भलाईयों को,
कैसे तूने बिहार में भी चमकी का इलाज किया,
ईलाज कर कितनों के प्राण बचा लिया?
लेकिन सबने तुझे ही परेशान किया?
लगेगी उन सबको हाय,
चलें जायेंगे एक दिन –
छोड़कर दुनिया सांय सांय।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने-
एन एस ए को गैर कानूनी करार दिया,
शासन प्रशासन के मुंह पर तमाचा जड़ दिया।
रिहाई का फैसला दिया,
न्याय जिंदा है, हौसला दिया।
अब छूटकर आए हो,
बिना अपराध जेल में बिताए हो।
ऊपर से जुल्म भी सहे,
पर किसी से कुछ नहीं कहे।
हिम्मत न हारी,
फेल कर दी शासन की तैयारी।
“सत्यमेव जयते” ही है-
मुण्डकोपनिषद से लिया गया नारा,
हैं भारत को प्यारा।
न्यायालय एक और काम करता,
साजिशकर्ताओं को धरता।
उन्हें जेल करता!
तो कुछ और बात होती ‌-
सोने पे सुहागा ही हो जाता !!
आगे दुहराने से सब बचते,
ऐसी हरकत करने के पहले सौ बार सोचते।
फिर भी इतना कम नहीं है,
सरकारी आरोप में दम नहीं है।
यह सबको स्मरण कराएगा,
फिर किसी पे बेवजह रासुका नहीं लगाएगा

 

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नवाब मंजूर

लेखक– मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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