सबका छत्तीसगढ़
( Sabka Chhattisgarh )
रीति रिवाज में मनाते हैं ताता पानी उत्सव,
बलरामपुर शहर का सबसे है बड़ा उत्सव ।
रुकना सुपा झेंझरी और नागर बैला है सजावट,
ढेढरी खुरमी अरसा बड़ा फरा पकवान लजावट।
गौरा गौरी पूजन भी है प्रदेश की रीति रिवाज,
बांसुरी अलगोजा मंजीरा सारंगी प्रमुख साज़।
आदिवासी लोक-संस्कृति खूबसूरती से ताजोताज,
एकतारा तंबूरा चिकारा तुरही तुडबुडी इनके है साज़।
धोती कुर्ता कांधे गमछा, सिर पर बांधे हुए सुंदर पागा,
साडी ब्लाउज अटकारिया जूता लुगरा पोखरा रह सागा।
नाक में फुल्ली कान में बाली हाथ चुडा़ पहनती हैं औरतें,
बड़े शौक से जामुनी हरे रंग की साड़ी पहनती हैं औरतें।
गोंड बाइसन हार्न मारिया धुर्वा है खास तौर जनजाति,
दोरला अभुज भी है पहाड़ियों की खास तौर जनजाति।
खान मनजीत इस कविता में बताई गई है रीति रिवाज,
छत्तीसगढ़ का खान पान, वेशभूषा और बताया साज़।
मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )