शब्दों का शिल्पकार हूं | Shabdon ka Shilpkar
शब्दों का शिल्पकार हूं
( Shabdon ka shilpkar hoon )
वाणी का आराधक हूं मैं, देशप्रेम भरी हुंकार हूं।
कलम का सिपाही भी, शब्दों का शिल्पकार हूं।
शब्दों का शिल्पकार हूं
रोशनी हूं उजियारा भी, मैं जलती हुई मशाल हूं।
देशप्रेम में झूम उठे जो, भारतमाता का लाल हूं।
शारदे का पूजक प्यारा, मैं वीणा की झंकार हूं।
गीतों का गजरा सुंदर, भारती की जयकार हूं।
शब्दों का शिल्पकार हूं
वीर प्रेम दया करुणा, भाव भरी इक फुहार हूं।
हर दिल में अनुराग जगे, बहती इक बयार हूं।
लेखनी की धार पैनी, दीनों की करूण पुकार हूं।
अनाचार अत्याचारों पर, सीधा तीखा प्रहार हूं।
शब्दों का शिल्पकार हूं
उड़ान हूं कल्पनाओं की, शब्दों का कमाल हूं।
सृजनशील साधक हूं, राष्ट्रप्रेम की मिसाल हूं।
मन मंदिर में दीप जलाता, वीरों की हुंकार हूं।
प्रेम की बहती सरिता, कविता की रसधार हूं।
शब्दों का शिल्पकार हूं
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )