Jhoola Jhool rahe Ghanshyam
Jhoola Jhool rahe Ghanshyam

झूला झूल रहे घनश्याम

( Jhoola jhool rahe ghanshyam ) 

 

झूला झूल रहे घनश्याम, झूला रही मात यशोदा।
पालना में पालनहारे, कृष्ण सुदर्शन धारी योद्धा।
झूला झूल रहे घनश्याम

सारे जग का सृजनहारा, मोहन माधव कान्हा प्यारा।
गोकुल आया नटखट कान्हा, वृंदावन में मुरली हारा।
गोपिया कर रही है मनुहार, भज भज नाम गोविंदा।
तेरी लीला है अपरंपार, जय नटवर नागर नंदा।
झूला झूल रहे घनश्याम

जय हो तेरी जग करतार, मनोहर मोहिनी मूरत।
नंदलाला करे दुलार, कन्हैया प्यारी सांवरी सूरत।
कान्हा किलकारी सुन, दौड़ी आए माता यशोदा।
बालकृष्ण छवि मन भाए, मोर मुकुट सिर चंदा।

नंद भवन में उत्सव आया, सजी नगरी सारी।
परकोटा घर द्वार सज रहे, धूम मच रही भारी।
अधर मुरली तान बाजे, बरसे सुख आनंदा।
नाच रहे नर-नारी सारे, गोकुल में हर बंदा।
झूला झूल रहे घनश्याम

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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