शराब | Sharab
शराब
( Sharab )
शराबियों की महफ़िल सजी हर जगह यारों,
एक दूसरे को फायदा बताते हर जगह यारों।
भूल कर भी कोई नुक्सान नहीं बताते है,
कहते हैं कई बिमारियों को मिटाती है यारों।
दवा का भी सम्मिलित काम करती है यह ,
सीमा में रह कर पीये और पिओ मापकर यारों।
ज्यादा पीना भी है सेहत का लिए बहुत हानिकारक,
घर खेत और आदमी तक लुटा देती हर जगह यारों।
भाईचारा भी खत्म करती मोहब्बत इससे है दरकिनार,
यह बूढ़ा नहीं करती उससे पहले चला जाता है यारों।
शराबियों की कोई जाति या मजहब नहीं होता है,
मयखाना में सब एक तरह से इंसान होते हैं यारों।
मयखाना से बाहर निकल आए साथ आता है मजहब,
जाति भी नहीं जाती है क्या कहूं बाहर आकर मेरे यारों।
बहुत कुछ सीखा देती है शराब और मयखाना हमें,
कभी जाकर देखना कोई मतभेद नहीं है इनमें यारों।
खान मनजीत कह जाति मजहब छोड़कर एक हो जाओ,
पीने वाला से पुछ किस तरह एक होते हैं हर रोज़ यारों
मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )