शासन और प्रशासन | Shasan aur Prashasan
शासन और प्रशासन
( Shasan aur Prashasan )
उग्र भीड़ सचिवालय जानिब ,
चली सौंपने ज्ञापन .
शोषित जन की आवाज बने ,
अब आक्रोशित नारे .
माँगें लेकर खड़ी याचना ,
शासन को धिक्कारे .
तीन पाँव धरती की खातिर ,
निकला जैसे वामन .
फर्जी बनकर टेढ़े चलते ,
ये सारे ही प्यादे .
सारे प्यादे घूम रहे अब ,
हक के पहन लबादे .
लगे समझने खुद को ही ये ,
शासन और प्रशासन .
लाठी – चार्ज हुआ सहसा ही ,
चले गैस के गोले .
डंडे खाकर गुस्सा भागा ,
छोड़े चप्पल झोले .
आज दमन ने अधिकारों का ,
ऐसा किया समापन .
राजपाल सिंह गुलिया
झज्जर , ( हरियाणा )