शटर उठा दो | Kavita
शटर उठा दो
( Shatar utha do )
मेरे ख्याल रूपी ब्रेड पे बटर लगा दो।
दिल का बन्द है दुकान तुम शटर उठा दो।
मिला के नयन नयनों से यू आँखे चार कर लो।
पनीर तल के रखा है कि तुम मटर मिला दो।
पुलाव बन रही ख्यालों में थाली लगा दो।
दही मिले अगर तो रायता भी तुम बना दो।
सुरूर चढ रहा है आँखों में चिलमन हटा दो।
करीब इतना आ कि लब से ही मय को पिला दो।
कहूँ मैं कुछ भी इससे पहले दिल का हाल कह दो।
जो राज रह गया है वो भी खुल ए आम कह दो।
मिलो हुंकार से ऐसे की दुनिया को जला दो।
बटर के गलने से पहले ही नश्तर को चला दो।
मेरे ख्याल रूपी ब्रेड पे बटर लगा दो।
दिल का बन्द है दुकान तुम शटर उठा दो।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )