Shayad

शायद | Shayad

शायद

( Shayad )

 

शायद दिल को खबर मिली है
मेरे लिए जिम्मेदरियों की कली खिली है

दिल को कुछ हो रहा अहसास है
अब इस आंगन से विदाई पास है

मां की डांट भी अब मिलेगी कैसे
मेरे इंतजार मे राह भी तकेगी कैसे

भाई के शरारतों से बेखबर होंगे
जाने वहाँ दिन भी कैसे बसर होंगे

पापा के प्यार से अब रात न होंगी
उनके दुलार से सुबह न होगी

मां की बिटिया कह कर
गोद में सोना न होगा
पापा के पास बैठकर उनको सताना न होंगा

शायद दिल को यही खबर मिली है
मेरे लिए जिम्मदरियों की कली खिली है

 

नौशाबा जिलानी सुरिया
महाराष्ट्र, सिंदी (रे)

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