दीप जले देखो जगमग ख़ुशी के यहां | Shayari diwali ki
दीप जले देखो जगमग ख़ुशी के यहां
( Deep jale dekho jagmag khushi ke yahan )
गांव में हर तरफ़ रोशनी के यहां
दीप जले देखो जगमग ख़ुशी के यहां
आज दीपावली लेकर आयी ख़ुशी
की मिठाई बनी है सभी के यहां
भूलकर लोग सिक्वे गिले मिल रहे
खिल उठें प्यार के गुल हंसी के यहां
दुश्मनी के पकोड़ी हुई ख़त्म सब
बट रहे सरगुल्ले दोस्ती के यहां
आ गयी है ख़ुशी लेकर दीपावली
ढ़ल गये है सभी दिन नमी के यहां
फुलझड़ी जल रही है ख़ुशी की देखो
है लबों पे हंसी ही सभी के यहां
ए ख़ुदा कर दें ऐसा करम अब मगर
हो जाये दीवाली मुफ़लिसी के यहां
दोस्ती के आज़म जल रहे दीप है
मिट गये है गिले दुश्मनी के यहां
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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