बिछड़ा नहीं रहता | Shayari on Bichadna
बिछड़ा नहीं रहता
( Bichadna nahi rahta )
अगर हम रोक लेते हमसे वो बिछड़ा नहीं रहता
उसी मंजर पे ये दिल अब तलक ठहरा नहीं रहता।
कहा था लौटना है एक दिन मुझ तक उसे वापस
मगर जो लौटना होता तो यूं बदला नहीं रहता ।
वही रुख़ फेर लेना दफ अतन वो यक ब यक जाना
अगर वो कह के जाता आशियां बिखरा नहीं रहता।
सही है जो नज़र से दूर है दिल से उतर जाता
मिरे ख़्वाबों में अब उस शख़्स का चेहरा नहीं रहता।
ख़सारा ही हुआ इस दिल के सौदे में हमें लेकिन
सबक सीखा बिना मतलब यहां रिश्ता नहीं रहता।
उलझते जा रहे हालात जाने इस तरह से क्यूं
कभी रोटी नहीं रहती कभी रुतबा नहीं रहता।
कभी ग़म के फ़साने तुम सुनाना मत कहीं पर भी
निकल जाये अग़र जो बात तो पर्दा नहीं रहता।
न वो चौपाल की मस्ती न वो साये दरख़्तों के
सुनो अब गांव में माहौल पहले सा नहीं रहता।
यही सच है नयन के जिंदगी हर हाल में चलती
न यूं होता तो दिल उससे बिछड़ जिंदा नहीं रहता।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
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