शीश शिव गंगा धरे
शीश शिव गंगा धरे
( छन्द : मनहरण घनाक्षरी )
शीश शिव गंगा धरे ,सब ताप कष्ट हरे,
जप नाम शिव प्यारे ,
तब होगे काम रे!!!
शिव पूजा सब करे ,आज होगे काज पूरे,
गुंज रहा सारी सृष्टी,
सदाशिव नाम रे !!!
शिव प्रिय बिल्व फल ,भक्त लिये गंगाजल,
प्रभुल्लित सब चले ,
शिवाप्रिया धाम रे !!!
शिव पर्व जब आया ,साथ सब खुशी लाया ,
नर नारी शिव पूजे ,
सुबह व शाम रे !!!

डॉ कामिनी व्यास रावल
(उदयपुर) राजस्थान