शिक्षकवृंद

( Shikshak Vrind ) 

 

जीवन पथ मूर्धन्य बना ,शिक्षकवृंद श्री चरण स्पर्श से

तन मन सज संवर ,
अनुपम मंगल पावन ।
सतत ज्ञान ओज वृष्टि,
दृष्टि हरित सावन ।
उर पटल प्रफुल्लित,
सदा अनूप पुनीत दर्श से ।
जीवन पथ मूर्धन्य बना, शिक्षकवृंद श्री चरण स्पर्श से ।।

निर्मित अभिप्रेरणा आरेख ,
संघर्ष भरी कंटीली राह ।
विचलन परम मार्गदर्शन,
स्नेह अपनत्व अथाह ।
कवच बन आशीष वर्षा,
श्रम संकल्प स्वभाव अहनिर्श से ।
जीवन पथ मूर्धन्य बना, शिक्षकवृंद श्री चरण स्पर्श से ।।

चिंतन मनन सोच विचार,
सकारात्मकता समावेश ।
गुरु शिष्य संबंध आभा,
नित चैतन्यता श्री गणेश।
अज्ञान कारक विलोपन,
सेतु बंध फर्श या अर्श से ।
जीवन पथ मूर्धन्य बना, शिक्षकवृंद श्री चरण स्पर्श से।।

शिक्षण अधिगम सहजता,
पाठ्यचर्या नैतिक उत्थान ।
संचेतना दक्षता उन्नयन ,
नवाचार प्रयोग आह्वान ।
खंडन अवांछित मंडन शुभता ,
समाधान सदैव विचार विमर्श से ।
जीवन पथ मूर्धन्य बना, शिक्षकवृंद श्री चरण स्पर्श से ।।

 

महेन्द्र कुमार

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