शिक्षक युग निर्माता है | Shikshak Yug Nirmata
शिक्षक युग निर्माता है
( Shikshak yug nirmaata hai )
ज्ञान के मोती लुटाये, शिक्षा की ज्योत जलाता है।
उजियारा करके जीवन मे, राह सही दिखलाता है।
शिक्षक युग निर्माता है
सदाचार का पाठ पढ़ाए, हृदय संस्कार भर के।
उन्नति शिखर पहुंचाए, चहुमुखी विकास करके।
कलम का सच्चा सिपाही, गुरु भाग्यविधाता है।
मां शारदे साधक सच्चा, सद्गुणों का दाता है।
शिक्षक युग निर्माता है
शिक्षा के मंदिर का सेवक, कलम का पुजारी है।
मानव निर्माता सच्चा, राष्ट्र सदा आभारी है।
भारत माता के चरणों में, श्रद्धा सुमन चढ़ाता है।
राष्ट्र गौरव गान गाए, देश प्रेम सिखलाता है।
शिक्षक युग निर्माता है
व्यापारी नेता वकील, पुलिस डॉक्टर अधिकारी।
राष्ट्र शिल्पी का वंदन है, गढ़ लेते प्रतिभाये भारी।
राष्ट्रहित में नव निर्माण, शिल्पकार कर पाता है।
देशभक्ति का पाठ पढ़ाए, उर में भाव जगाता है।
शिक्षक युग निर्माता है
वतन परस्ती भाव रगों में, रात दिन जगाते हैं।
सीमा पर जो खड़े सिपाही, वंदे मातरम गाते हैं।
तिरंगा की शान में, सम्मान सिखाया जाता है।
कण-कण माटी चंदन है, गान सिखाया जाता है।
शिक्षक युग निर्माता है
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
यह भी पढ़ें :-