श्रोताओं का आनंद | Kavita Shrotaon ka Anand
श्रोताओं का आनंद
( Shrotaon ka Anand )
बहुत कुछ मैंने अपने
गीतों कविताओं में लिखा।
जिनके हर शब्दो में
प्यार बहुत झालाकता है।
इसलिए तो परिवर्तन की
लहर चल रही है।
और लोगों की देखो
सोच कैसे बदल रही है।।
मेरे ही शब्द अब मुझको
बहुत ही चुभ रहे है।
पर दुनिया के लोगों को
बहुत ही अच्छे लग रहे।
जिनके लिए मैं लिखता हूँ
वो ही मुझसे रूठ गये।
इसलिए मेरी लेखनी में अब
मोहब्बत लुप्त हो रही है।।
किसी का किसी से
संबंध हो जाये।
जीवन का मानों आज
उनसे बंधन हो जाये।
और गीत गजल का
मिलन मंच पर हो जाये।
तो श्रोताओं की रात का
आनंद दूगना हो जायेगा।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन “बीना” मुंबई