हाँ उधर से गुलाब आ जाये
हाँ उधर से गुलाब आ जाये

हाँ उधर से गुलाब आ जाये!

( Han udhar se gulab ajaye )

 

हाँ  उधर से गुलाब आ जाये!
प्यार का कब ज़वाब आ जाये

 

कब  तक  मैं इंतिजार देखूँ रब
इश्क़ की अब क़िताब आ जाये

 

मुझको रुला गया मुहब्बत में
उसकी आँखों में आब आ जाये

 

कर गये बेवजह दुखी मुझको
दोस्त  उनपे  अज़ाब  आ जाये

 

उस हंसी का दीदार कर लूँ मैं
वो  मगर  बेहिजाब  आ  जाये

 

दिल को आये क़रार “आज़म” के
मिलनें  को  अब ज़नाब आ जाये

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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