कत्ल कलम से

कत्ल कलम से | Kavita

कत्ल कलम से

( Qatal kalam se )

 

हो ना जाए कत्ल कलम से, शमशीरो सी वार सा।
दोषी  को  सजा  दिलवाना, फर्ज कलमकार का।

 

कलम ले दिल दुखाए, तीखे शब्द बाण चलाए।
खून के आंसू रुलाए, बिना बात विवाद बढ़ाए।

 

निर्दोषी पर आरोप लगाना, कर्म नहीं दरबार का।
सच्चाई की खातिर लड़ना, फर्ज कलमकार का।

 

हंगामा खड़ा हो जाए, बवाल बड़ा हो जाए।
औरों का हक लेने को, झूठ खड़ा हो जाए।

 

जिंदगी देने वाला, सबकुछ लूट ले बीमार का।
लेखनी ले रोशन करना, फर्ज कलमकार का।

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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