सुनो
सुनो
स्त्री ( Stree kavita ) स्त्री होकर स्त्री पर उपहास करती हो, हैरानी होती है कि तुम तुच्छ विचारों में वास करती हो। तुम भी उस तरुवर की शाखा हो, जिस डाल कि मैं। तुम भी अपने कार्य में निपुण, मैं भी अपने कार्य में संपूर्ण। स्त्री होकर स्त्री पर उपहास करती हो, हैरानी…
बारिशें नफरतों की शुरू हो गयी बारिशें नफरतों की शुरू हो गयी! ख़त्म बू प्यार की अब गुलू हो गयी इसलिए टूटा रिश्ता उसी से कल है तल्ख़ उससे बहुत गुफ़्तगू हो गयी खो गये भीड़ में बेबसी की रस्ते ख़त्म अब मंजिल की जुस्तजू हो गयी प्यार की दोस्ती…
सफलता ( Safalta ) उनको आज कल, एक ही धुन सवार है, चाहे कुछ भी करना पड़े , परंतु सफलता पाकर रहूंगा । इस सफलता को पाने के लिए, उन्होंने त्याग दिए घर बार , दोस्ती यारी को भी भुला दिया, मशीनों की तरह , सोचना छोड़ दिया है, सामाजिक रिश्तों के बारे में…
इच्छा ( Ichcha ) छोटी बड़ी पवित्र दूषित अधूरी पूरी मृत जीवित दबी तीव्र अल्पकालिक दीर्घकालिक व नाना प्रकार की होती है, सबको होती है। किसी की कम या ज्यादा होती है, किसी की पूरी तो किसी की अधूरी रह जाती है। यह कहां से आती है? जीवन से आती है, जीवनोपरांत समाप्त हो जाती…
सत्यमेव जयते विजय सत्य की होती है, आए कठिनाई कितनी भी।। सत्य ही जीवन का सार शक्ति इसकी बेशुमार महिमा इसकी अपरंपार कुंद पङे ना इसकी धार लङ के हार जाती सब है यहां बुराई जितनी भी। विजय सत्य की होती है, आए कठिनाई कितनी भी।। l ‘राम’-‘कृष्ण’ का जीवन देखा…
चेहरे का नूर वो ही थी ( Chehre ka noor wo hi thi ) वो ही प्रेरणा वो ही उमंगे वो मेरा गुरूर थी भावों की अभिव्यक्ति मेरे चेहरे का नूर थी प्रेम की परिभाषा भी मेरे दिल की धड़कन भी खुशियों की प्यारी आहट संगीत की सरगम भी मौजों की लहरों…