नज़र का तीर जब निकला यहां तेरी कमानी से
नज़र का तीर जब निकला यहां तेरी कमानी से नज़र का तीर जब निकला यहां तेरी कमानी से। हज़ारों हाथ धो बैठे जहां में जिंदगानी से।। बहुत सोचा लगा हमको ख़ता तेरी नहीं कोई। शिकायत है हमें ज़ालिम तेरी कातिल जवानी से।। किया घायल सदा तूने अदाओं से हमें अपनी। हुआ…