कोई ऐसा मुझे चेहरा नहीं मिलता

कोई ऐसा मुझे चेहरा नहीं मिलता

कोई ऐसा मुझे चेहरा नहीं मिलता     कोई ऐसा मुझे चेहरा नहीं मिलता! निभाएं साथ जो ऐसा नहीं मिलता   दुखाने दिल आते है लोग मेरा तो वफ़ा से ही भरा रिश्ता नहीं मिलता   खोया हूँ नफ़रतों की भीड़ में मैं तो मुहब्बत का मगर रस्ता नहीं मिलता   यहां खोये है अपनें…

उठे जब भी कलम

उठे जब भी कलम

उठे जब भी कलम ***** लिखेंगे सच सच हम, खाएं सब कसम! लाज साहित्य की बचायेंगे, किसी प्रलोभन में न आयेंगे। न बेचेंगे अपनी कलम, लेखनी से जनांदोलन छेड़ेंगे हम। उठाएंगे बेबस मजदूरों की आवाज, चाहे महिलाओं की मान सम्मान की हो बात। भ्रष्टाचार रूपी दानव को- लेखनी के दम पर हराएंगे, किसानों की बात…

दिल्ली की सड़क पे किसान है़

दिल्ली की सड़क पे किसान है़

दिल्ली की सड़क पे किसान है़     दिल्ली की सड़क पे किसान है़! यहां हर तरफ़ ये उफान है़   सुनी रहनुमा ने नहीं ज़बां क़िस्मत के मारे किसान है़   करो मान इनका ए लोगों तुम ये तो मुल्क के जय जवान है़   पुकारें सुन लो भी किसानों की डूबी दर्द में…

समय आए तभी होते जहां में काम सारे ही

समय आए तभी होते जहां में काम सारे ही

समय आए तभी होते जहां में काम सारे ही   समय आए तभी होते जहां में काम सारे ही। नहीं आया समय तो फिर हुए नाकाम सारे ही।।   सफाई क्या भला देते बुरे जिनकी नज़र में हम। सहे हँस-हँस सदा हमने यहाँ इल्जाम सारे ही।।   हुए मशहूर दुनिया में दिलों को बांटने वाले।…

हम क्या जिंदगी में करे अब

हम क्या जिंदगी में करे अब

हम क्या जिंदगी में करे अब     हम क्या जिंदगी में करे अब हाँ बेरोजगारी  हुऐ अब   लूटा अपनों ने सब कुछ मेरा कहां जाकर के हम रहे अब   बातें अपनों की मानी मैंनें अपने फ़ैसले ही किये अब   वरना सब्र करते थे दिल में देखो दुश्मनों से लड़े अब  …

क्यूं चाहते हो इतना

क्यूं चाहते हो इतना

क्यूं चाहते हो इतना     मुझे खूबसूरत पहेली बताता है जो आंखों से नींदे मेरी चुराता है वो   ख्वाबो से हटाकर धूल की परतें रुह को मेरी महकाता है वो   दिन हमेशा खिल जाता है गुलाब सा कांटे सभी दामन से छुडाता है वो   तन्हाईयों की जो लिपटी हुई थी चादरे…

मैं अक्सर

मैं अक्सर

मैं अक्सर   मैं अक्सर गली में बजती तुम्हारी पायल के घुँघरुओं की रुनझुन से समझ लेता हूँ तुम्हारा होना……   बजती है जब-जब सुबह-शाम या दोपहर जगाती है दिल की धड़कन और देखता हूँ झांक कर बार बार दरवाजे से बाहर…….   बहुत बेचैन करती है मुझे छनकती तुम्हारी पायल और खनकती पायल के…

देखकर चलना तू अजनबी राहें है

देखकर चलना तू अजनबी राहें है

देखकर चलना तू अजनबी राहें है     देखकर चलना तू अजनबी राहें है! हर क़दम पे  भरी दुश्मनी राहें है   नफ़रतों की राहों पे खोया हूँ मैं तो खो गयी है मुझसे आशिक़ी राहें है   राहें आती नहीं है कोई प्यार की आ रही है यहां बेरुख़ी राहें है   हम सफ़र…

रोज़ चलके देखा उल्फ़त दोस्ती की राह पे

रोज़ चलके देखा उल्फ़त दोस्ती की राह पे

रोज़ चलके देखा उल्फ़त दोस्ती की राह पे     रोज़ चलके देखा उल्फ़त दोस्ती की राह पे चोट खाली है वफ़ाओ आशिक़ी की राह पे   उसका चेहरा दर्द ग़म दिल से भुलाने के लिये आ गया हूँ मैं भटकते मयकशी की राह पे   ढूढ़ते ही ढूढ़ते राहें मुहब्बत इश्क़ की चलते चलते…

किसानों की सुन ले सरकार!

किसानों की सुन ले सरकार!

किसानों की सुन ले सरकार! ******* आए हैं चलकर दिल्ली तेरे द्वार, यूं न कर उनका तिरस्कार; उन्हीं की बदौलत पाते हम आहार। सर्द भरी रातों में सड़कों पर पड़े हैं, तेरी अत्याचारी जल तोप से लड़ रहे हैं। सड़कों के अवरोध हटा आगे बढ़ रहे हैं, शायद कोई इतिहास नया गढ़ रहे हैं। आखिर…